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केले की फसल में नेचरडीप के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तृत जानकारी

केले की फसल में नेचरडीप के फायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तृत जानकारी


नेचर डीप क्या है?

नेचर डीप एक जैविक उत्पाद है तथा इसमें मायकोरायझा नामक फफूंद है, यह फफूंद आपके मिर्च के पौधों की जड़ों पर पनपती है और जडों की कक्षा बढ़ जाती है. इससे मिर्च का पौधा अधिक से अधिक अन्न द्रव्य ले सकता है और मिर्च का उत्पादन बढ जाता है। नेचर डीप का उपयोग आप ड्रेचीग/ड्रीप/खाद के साथ छिट्टा लगाकर कैसे भी कर सकते है

नेचर डीप उपचारित/अनुपचारित

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नेचर डीप उपचारित

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नेचर डीप अनुपचारित

 

 

 

 

 

 

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नेचर डीप उपचारित

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नेचर डीप उपचारित

 

 

 

 

 

 

केले की फसल में नेचर डीप की मात्रा

पहला छिड़कावः ड्रीप अथवा डॅचिंग द्वारा इस्तेमाल करें। केले लगाने के दिन से 50 दिन बाद, 200 ग्राम नेचरडीप प्रति 1000 केले।

दूसरा छिडकावः ड्रीप अथवा ड्रेचिंग द्वारा इस्तेमाल करें। 150 से 180 दिन बाद, 200 ग्राम नेचर डीप प्रति 1000 केले

सफेद जड़ों का विकासः नेचर डीप के घटक मायकोरायझा सफेद जड़ों का विकास करता है जिससे केले की फसल में अन्न द्रव्य सोखने के लिए बड़ी मात्रा में सफेद जड़े तैयार हो जाती है।

जडों की कक्षा बढ़ जाती है: नेचर डीप के कारण जड़ों की कक्षा बढ़ जाती है और हर तरफ फैली जड़े जमीन में काफी नीचे से भी पानी और अन्न द्रव्य ले सकते है।

उर्वरक और पानी की उपलब्धताः जड़ों का विकास न होने के कारण कई बार केले की फसल तक दिया गया रासायनिक या जैविक ऊर्वरक तथा पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँचता है नेचर डीप के कारण यह मुमकीन होता है. नेचर डीप के कारण बढी और दूर तक फैली जड़ें पौधे तक दिया गया रासायनिक या जैविक उर्वरक तथा पानी पहुँचाने का काम करती है।

केले की वृद्धिः नेचर डीप के इस्तेमाल से केले के फसल का उचित विकास होता है और पत्तों का आकार बड़ा होकर पत्ता हरा होने में मदद मिलती है।

मजबूत फेंदा: केले में बंच तयार होने और बंच का वजन तौलने के लिए केले का फेंदा बड़ा होने बहुत आवश्यक होता है, नेचर डीप के कारण यह मुमकीन होता है, शुरुआत के समय में किया गया पहला सर्कलिंग केले की फसल में फेंदा सक्षम तथा बड़ा करने में पेड को मदद करता है।

केले के बंच का निर्माण: केले के फसल में बंच का निर्माण तथा फूल सही समय पर निकल आना बहुत आवश्यक होता है, अगर ऐसा नहीं हुआ तो अवस्था आगे-पिछे हो कर केले निकालना मुश्किल होता है. केले में फूल तैयार होना पानी और अन्न द्रव्य इनके संतुलित इस्तेमाल से सही समय पर और एक साथ पाया जा सकता है. नेचर डीप के कारण यह मुमकीन है कारण नेचर डीप द्वारा निर्मित जड़ें पौधे की जड़ों के मुकाबले 50 गुना अधिक काम करती है।

जड़ें काली हो जानाः जब जमीन का तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाता है, खास कर ठंड के मौसम में तब केले की सफेद जड़ें काली पड़ जाती है और पौधे को पानी तथा अन्नद्रव्यों की आपूर्ती कम होने लगती है. नेचरडीप के कारण जड़ें काली नहीं होती और पानी तथा उर्वरक केले तक पहुंचाए जाते हैं।

केले का आकार, वजन तथा गोलाई: बंच निर्माण के बाद केले में केले का आकार एवं गोलाई तैयार होना आरंभ होता है. इस दौरान पालाश नामक घटक केले के लिए आवश्यक होता है, नेयर डीप जमीन में उपलब्ध सभी घटक जैसे की नत्र, स्फुरद, पालाश, कल्शिअम, बोरॉन इ. केले तक पहुँचाता है और इसके कारण केले को सही वजन एवं गोलाई प्राप्त हो जाती है।

जैविक उत्पादः नेचर डीप एक जैविक उत्पाद है, नेचर डीप जमीन में ग्लोमालिन मान का एक घटक तैयार करता है जिससे जमीन में कार्बन बढ़ जाता है और जमीन उपजाऊ बन जाती है।

नेचरडीप के इस्तेमाल करने से केले का उत्पादन 20 से 30% तक बढ़ जाता है।

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